चाय-नाश्ता, पूड़ी-कचौड़ी, मिठाई, जलेबी, लस्सी और चाय वगैरह की एक दुकान पर एक तरफ सारी चीजें एक लाईन से रक्खी हुई थीं और बाहर एक कोने में लगे भट्ठे पर दुकानदार चाय बना रहा था….!!
अचानक से एक कौआ आकर दही में चोंच मार बैठा और लगा मजे से खाने, तभी गुस्से में दुकानदार ने भट्ठे से एक लाल जलता हुआ कोयला उठाकर कौए को दे मारा….!!
निशाना बिल्कुल सटीक बैठा और कौआ तुरंत छटपटाकर मर गया….!!
वहीं एक बेंच पर बैठकर चाय पी रहे कवि महाशय से यह हृदय विदारक घटना देखी नहीं गई और कवि हृदय की भावुकतावश उन्होंने चाय खत्म करके एक जले और ठन्ढे पड़े कोयले के टुकड़े से सामने की दीवार पर कुछ इस तरह से लिख दिया :–
*काग दही पे जान गँवायो*
🍚🍚🍚🍚🍚🍚🍚🍚🍚🍚
वहीं पर कचौड़ी खा रहे जमीन के गलत कागजात बनाने के मामले में सस्पेंड एक पटवारी ने हाथ धोते हुए इसे पढ़ा तो सोचने लगा कि बिल्कुल सही लिखा है, दरअसल उसने कुछ इस तरह पढ़ा :–
*कागद ही पे जान गँवायो*
✍✍✍✍✍✍✍✍✍✍
तभी पास ही खड़े होकर जलेबी खा रहे देवदास टाईप के एक लुटे-पिटे मजनूं की नजर दीवार पर गई तो पढ़ने के बाद वह बड़बड़ाया कि एकदम सही फरमाया है, काश..यह बात मुझे पहले से पता होती, दरअसल उसने कुछ इस तरह पढ़ा :–
*का गदही पे जान गँवायो*
🎎🎎🎎🎎🎎🎎🎎🎎🎎🎎